अपान वायु मुद्रा के लाभ Benefits of ApaanVaayu Mudra

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apaan vaayu mudra
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अपान वायु मुद्रा

तर्जनी ऊँगली को मोड़कर उसका अग्र भाग अंगूठे के जड़ से लगाए ,अब मध्यमा और अनामिका के अग्र भाग को अंगूठे के अग्र भाग से मिलाये। या कहे कि –

अपान मुद्रा और वायु मुद्रा दोनों को एक साथ मिलाकर करने से यह मुद्रा बनती है। इसमें कनिष्ठा अंगुली सीधी होती है। इसका अभ्यास 15 -15  मिनट सुबह शाम करे।

 

अपानवायुमुद्रा के लाभ 

 

  • जिनको हाथो पैरों में अधिक पसीना आता है ,वह इस मुद्रा के प्रभाव से बंद हो जाता है।
  • हिचकी व् पलको का फड़फड़ाना बंद हो जाता है।
  • कमर दर्द,गर्दन दर्द ,पेट दादर ,कब्ज़ ,सूजन ,दमा ,गुर्दे की पथरी के लिए यह मुद्रा अत्यंत लाभकारी है।
  • मानसिक तनाव ,रक्त के संचयन की गड़बड़ी इस मुद्रा के नियमित अभ्यास द्वारा ठीक होती है।
  • शरीर के विजातीय तत्व व् मल आदि दूर होते है
  • ह्रदय रोगों और वात दोष से होने वाले रोगों को दूर करती है।
  • कमजोर दिल वाले लोगों को इसे रोज करना चाहिए। दिल का दौरा पड़ते ही इस मुद्रा को करने से आराम मिलता है।
  • वैट ,पित्त ,गैस की समस्या दूर करता है।
  • खाना कटे
  • सिरदर्द, अस्थमा एवं उच्च रक्तचाप  में लाभकारी है।
  • सीढियां चढ़ने से पहले 5-7 मिनट इस मुद्रा को करें। इससे चढ़ने में आराम मिलता है।
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