Namaskar mudra yoga | प्रणाम मुद्रा (नमस्कार मुद्रा) के हैरान कर देने वाले लाभ व महत्व

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नमस्कार मुद्रा लाभ

पहले के समय जब भी किसी से मिलते थे तो आदर स्वरुप दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार किया जाता था .
क्योंकि बड़े लोग जानते थे कि इससे अनेकों लाभ होते हैं ।

हम नमस्कार मुद्रा का प्रयोग प्रार्थना, ध्यान, मंत्र उच्चारण या किसी अतिथि के आने पर उसके स्वागत – सम्मान के लिए करते हैं, आजकल की समय में हम तो नमस्कार की मुद्रा बनाना भी भूल गए हैं।

चलिए जानते हैं अपनी भारतीय संस्कृति में मुद्रा को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान क्यों दिया गया है।

नमस्कार की मुद्रा बनाने के लिए हमें दोनों हाथ जोड़कर अंगूठे से अंगूठे को मिलाकर सीने के मध्य भाग जहां आत्मा का निवास माना जाता है उससे लगाना होता है। दोनों अंगूठों को आपस में मिलाकर कमल के फूल की भांति एक मुद्रा बनती है।

यही नमस्कार का की मुद्रा, यदि चाहे तो हाथों को सर के ऊपर की और सीधे जोड़कर भी आगे नमस्कार की मुद्रा ला सकते हैं।
इसके नित्य अभ्यास से दोनों हाथों को जोड़ने से अनेकों लाभ होते हैं।

चलिए आज इन लाभों को जानने का प्रयास करते हैं

प्रणाम मुद्रा करने से हाथों की मस्तिष्क संधि और मस्तिष्क की स्थिरता बढ़ती है। यह शारीरिक और मानसिक संतुलन को बढ़ावा देता है।

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नमस्कार मुद्रा के लाभ

  1. नमस्कार मुद्रा से विनम्रता के भाव उत्पन्न होते हैं
  2. अहंकार मिटता है ।
  3. नमस्कार मुद्रा को करते समय मन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह बुद्धि का विकास और ध्यान को बढ़ावा देती है।
  4. हमारी याददाश्त बढ़ती है।
  5. आलस्य दूर होता है।
  6. सक्रियता आती है शरीर में आलस दूर भाग जाता है।
  7. रक्त शुद्ध होता है।
  8. शरीर स्वस्थ होता है हष्ट पुष्ट होता है।
  9. तनाव दूर हो जाता है।
  10. सूर्य नमस्कार की पहली स्थिति भी नमस्कार मुद्रा से ही शुरू होती है और यह हमें आंतरिक रूप से मजबूत बनाता है

नमस्कार मुद्रा

इन सभी लाभों के साथ, नमस्कार मुद्रा को नियमित रूप से करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह आध्यात्मिक साधना के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में भी मानी जाती है।

हिन्दू धर्म में इसी कारण नमस्कार मुद्रा अपनाई जाती है — पूजा में , निवेदन के लिए इस मुद्रा के द्वारा ही हम प्रार्थना करते हैं।
नित्य भी इसका अनेकों जगह प्रयोग किया जाता है किसी को श्रद्धांजलि देते हुए भी हम नमस्कार की मुद्रा में झुक कर ही किसी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
इसलिए आज से ही अपने भारतीय संस्कृति को जानते हुए, फिर से अधिक से अधिक इस नमस्कार मुद्रा का प्रयोग आरम्भ करें और अपनी सभ्यता, संस्कृति को पुनः जीवित करें।
समान मुद्रा के लाभ

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