सहजन/मोरिंगा drumstick Benefits
सहजन की फलियाँ और पत्तियाँ कैरोटीन व विटामिन ‘सी’ का मुख्य स्रोत हैं, इसके आलावा कैल्शियम विटामिन A विटामिन B1 विटामिन B2 विटामिन B3 विटामिन B5 विटामिन B6 विटामिन B9 विटामिन C आयरन, डायट्री फाइबर ,प्रोटीन ,सोडियम ,कार्बोहाइड्रेट , फॉस्फोरस ,मैग्नीशियम ,पौटेशियम ,ज़िंक प्रचूर मात्रा में पाय जाते है।
सहजन को अंग्रेजी में drumstick कहा जाता है। इसका वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। सेंजन, मुनगा या सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है।
फिलीपीन्स, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में भी सहजन का उपयोग बहुत अधिक किया जाता है। विश्व के कुछ भागों में नयी फलियाँ खाने की परम्परा है जबकि दूसरे भागों में पत्तियाँ अधिक पसन्द की जातीं हैं। इसके फूलों को पकाकर खाया जाता है और इनका स्वाद खुम्भी (मशरूम) जैसा बताया जाता है। अनेक देशों में इसकी छाल, रस, पत्तियों, बीजों, तेल, और फूलों से पारम्परिक दवाएँ बनायी जाती है।
प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि उसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इसे दुनिया का सबसे उपयोगी पौधा कहा जा सकता है। यह न सिर्फ कम पानी अवशोषित करता है बल्कि इसके तनों, फूलों और पत्तियों में खाद्य तेल, जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने वाली खाद और पोषक आहार पाए जाते हैं।
दक्षिण भारत में व्यंजनों में इसका उपयोग खूब किया जाता है। सहजन के लगभग सभी अंग (पत्ती, फूल, फल, बीज, डाली, छाल, जड़ें, बीज से प्राप्त तेल आदि) खाये जाते हैं।
इसके अलग-अलग भाग में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 90 तरह के मल्टीविटामिन्स, 45 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 35 तरह के दर्द निवारक और 17 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं।
इसकी पत्तियों और फली की सब्जी बनती है। इसका उपयोग जल को स्वच्छ करने के लिये तथा हाथ की सफाई के लिये भी उपयोग किया जा सकता है।
बच्चों की मालिश
सहजन के बीजों का तेल शिशु की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है.
बच्चों के लिए टॉनिक
शिशुओं और बढ़ते बच्चों के लिए इसकी पत्तियाँ टॉनिक का कार्य करती हैं। अच्छे परिणामों के लिए पत्तियों का रस निकालकर तथा छानकर दूध के साथ मिलाकर देना चाहिए। यह मिश्रण स्वस्थ और मजबूत हड्डियों तथा खून के बहाव को स्वच्छ रखने के लिए उत्कृष्ट टॉनिक का कार्य करता है।
जल को स्वच्छ
जल में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं जिसके कारण लोगों को तमाम तरह की जलजनित बीमारियाँ होने की संभावना बनी रहती है।जल को स्वच्छ करने के लिये तथा हाथ की सफाई के लिये भी इसके बीजों का उपयोग किया जा सकता है।
गर्भावस्था और स्तनपान
गर्भवती महिलाओं द्वारा नियमित रूप से इस मिश्रण के सेवन से उन्हें आवश्यक कैल्सियम, लौह और विटामिन की आपूर्ति होती रहती है। यह बच्चेदानी की शिथिलता दूर करने, प्रसव को सरल करने तथा प्रसूति के पश्चात् की जटिलताओं को कम करने में फायदेमंद है। इसकी पत्तियों से बनी सब्जी बच्चे के जन्म के बाद खाने से यह माँ के दूध को बढ़ाता है।
श्वसन संबंधी बाधाएँ
सहजन की पत्तियों से बना सूप श्वास की बीमारियों, जैसे—दमा, ब्रोंकाइटिस, क्षय रोग इत्यादि के लिए बहुत लाभकारी है। छह औंस पानी में मुट्ठी भर पत्तियाँ डालकर इसका सूप बनाया जाता है, जिसे क्वथनांक तक उबाला जाता है। पाँच मिनट तक उबलने के बाद इसे आग से हटाकर ठंडा होने दें। इस सूप में नमक, काली मिर्च और नींबू का रस मिलाकर लेने से यह श्वास की गड़बडि़यों को दूर करता है।
यौन अक्षमता
सहजन के फूलों को दूध के साथ उबालकर बनाया गया सूप लैंगिक असमर्थता को दूर करने के लिए बहुत उपयोगी टॉनिक है। यह पुरुषों और महिलाओं के बाँझपन में भी उपयोगी है। सूखी छाल का चूर्ण नामर्दी, शीघ्र स्खलन और वीर्य के पतलेपन में उपयोगी है। सूखी छाल का लगभग चार औंस चूर्ण 250 मि.ली. पानी के साथ लगभग आधा घंटा उबालना चाहिए और इस मिश्रण की एक औंस की मात्रा एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार महीने भर लेने से इन विकारों में सुधार होता है।
पाचन संबंधी गड़बड़ी
सहजन पाचन संबंधी अनियमितताओं में भी लाभकारी है। इसकी पत्तियों का एक चम्मच ताजा रस निकाल कर उसको शहद और एक गिलास नारियल पानी के साथ दो या तीन बार हर्बल ओषधि के रूप में उपयोग कर सकते हो।
मूत्र संबंधी अनियमितताएँ
स्कंदित ताजा पत्तियों का एक चम्मच रस ककड़ी या गाजर के गिलास भर ताजे रस के साथ लेना मूत्र में अति अम्लता के कारण होनेवाले अल्प मूत्र और मूत्र मार्ग में लगातार जलन के लिए प्रभावी ओषधि है। जो मधुमेह के रोगी नहीं हैं उनके लिए अत्यधिक मूत्र-त्याग के उपचार के लिए एक चम्मच रस 10 ग्राम नमक के साथ दिन में एक बार लिया जा सकता है।
आँखों के रोग
तंत्रीय दुर्बलता, कॉर्नियल अल्सर, आँखों की जलन और खुजलाहट, पलकों के झपकने तथा फड़कने, बरौनियों के गिरने एवं विटामिन ‘ए’ की कमी के उपचार के लिए सहजन/मोरिंगा की ताजा पत्तियों का रस निकालकर आँखों में डालने पर फायदेमंद होता है।
सहजन के पेड़ की छाल
सहजन के पेड़ की छाल गोखरू, कील और बीमारियों के इलाज की अच्छी दवा मानी जाती है।
त्वचा रोग
त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद ही प्रचलित है. सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे हुए विषाक्त तत्व बाहर निकल जाते हैं. सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और खून को साफ रखने में मदद करता है.
त्वचा रोग के इलाज में इसका विशेष महत्व है, सहजन के बीज धुप से होने वाले दुष्प्रभाव के रक्षा करते हैं, अक्सर इन्हें पीसकर डे केयर क्रीम में इस्तेमाल किया जाता है।
स्क्रब
बीजों का पेस्ट चेहरे की मृत त्वचा को हटाने के लिए स्क्रब के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
मॉस्चराइजर
सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है. यह एक ताकतवर मॉस्चराइजर है, इस के पेस्ट से खुरदरी और एलर्जी त्वचा का इलाज किया जा सकता है।