प्राणमुद्रा
प्राणमुद्रा करने के लिए सबसे छोटी अंगुली (कनिष्ठा), अनामिका और अंगूठे के शीर्ष हिस्से को आपस में मिलाएं और बाकी दोनों अंगुलियाँ सीधी रखें। नित्य इसका अभ्यास 15 -15 मिनट दो बार करे।
प्राणमुद्रा के लाभ ——-
- लकवा होनेपर यह मुद्रा लकवे से बचती है ,खोई हुई शक्ति पुनः मिल जाती है।
- इसे करने से शरीर में स्फूर्ति और ऊर्जा का विकास होता है।
- नींद न आने पर प्राण मुद्रा एवम ज्ञान मुद्रा का अभ्यास क्रमशः करना चाहिए।
- चेहरे का तेज बढ़ता है।
- आंखों से दोष दूर होते हैं और आंखों की रोशनी बढ़ती है।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ती है।
- विटामिन की कमी दूर होती है।
- थकान दूर होती है।
- लम्बे समय तक व्रत रहने पर भूख प्यास नहीं लगती है
कृपया ध्यान दें उपलब्ध सभी साम्रगी केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें।
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