करवा चौथ की तिथि और तैयारी Karva Chauth 2023

3271
करवा चौ‍थ की पूजा की तैयारी
करवा चौ‍थ की पूजा की तैयारी

करवा चौथ कब की तिथि है 

इस बार  करवा चौथ का व्रत 1 नवम्बर 2023 बुधवार  को आ रहा है।

इस व्रत में चंद्र दर्शन और पूजन का विशेष महत्व होता है।इस दिन चौथ माता और गणपति जी की पूजा का विधान है  वहीं ज्योतिषियों की माने तो चंद्र दर्शन से पहले कुछ बातों का खास ख्याल रखें। ऐसे कुछ कार्यों से दूर रहें, जिन्हें करने से मान्यता के अनुसार चंद्रमा नाराज हो जाते हैं।

इस दिन गौरी मां की पूजा की जाती है। एक दिन पहले सास अपनी बहू को सरगी भेजती है. सरगी में मिठाई, फल, सेवइयां आदि होती है. जिसका सेवन महिलाएं करवाचौथ के दिन प्रातः सूर्य निकलने से पहले करती हैं. यदि इस व्रत में महिलाएं सास, मां या अन्य किसी बुजुर्ग का अनादर करती हैं तो यह व्रत पूरा नहीं माना जाता है। क्योंकि इस व्रत में पति की कामना के साथ ही बड़े-बुजुर्गों का भी महत्व होता है।

इस दिन लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है। इस दिन महिलाओं को चाहिए कि वे पूर्ण श्रृंगार करें और अच्छा भोजन खाएं। इस दिन पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख भी मिल सकता है।वहीं व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े पहनने से बचना चाहिए।

इसे भी पढ़ेंः    Rajma chawal recipe in punjabi style

करवा चौथ शुभ महुर्त

पूजा  का शुभ महुर्त :5:36 शाम  से 7:02 शाम  तक 

चंद्रोदय समय : रात्रि  8:26 तक

करवा चौथ पूजन विधि 

पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं. गौरी को चुनरी ओढ़ाएं।  बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें।

जल से भरा हुआ लोटा रखें।

करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें।  उसके ऊपर दक्षिणा रखें।

रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं।

गौरी-गणेश की परंपरानुसार पूजा करें।  पति की दीर्घायु की कामना करें।

करवा पर तेरह बिंदी रखें और गेहूं या चावल के तेरह दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
आठ पूरियों की अठावरी बनाएं।  हलुवा बनाएं।
कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासू जी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।

इस दिन गेहूं अथवा चावल के 13 दानें हाथ में लेकर कथा सुननी चाहिए। मिट्टी के करवे में गेहूं, ढक्कन में चीनी एवं उसके ऊपर वस्त्र आदि रखकर सास, जेठानी को देना चाहिए। रात में चंद्रमा उदय होने पर छलनी की ओट में चंद्रमा का दर्शन करके अर्घ्य देने के पश्चात व्रत खोलना शुभप्रद रहता है। शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल में द्रोपदी ने अर्जुन के लिए यह व्रत किया था।

इसे भी पढ़ेंः    दलिये के अप्पम टेस्टी भी हेल्थी भी - Daliye ka upttam testy and healthy

रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्ध्य दें।  इसके बाद पति से आशीर्वाद लें।  उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।

अन्य व्रतों के समान करवा चौथ का भी उजमन किया जाता है।  करवा चौथ के उजमन में एक थाल में तेरह जगह चार-चार पूड़ियां रखकर उनके ऊपर सूजी का हलुवा रखा जाता है।  इसके ऊपर साड़ी-ब्लाउज और रुपये रखे जाते हैं।  हाथ में रोली, चावल लेकर थाल में चारों ओर हाथ घुमाने के बाद यह बायना सास को दिया जाता है।  तेरह सुहागिन स्त्रियों को भोजन कराने के बाद उनके माथे पर बिंदी लगाकर और सुहाग की वस्तुएं देकर विदा कर दिया जाता है।

कृपया ध्यान दें उपलब्ध सभी साम्रगी केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। Read More