लिंगमुद्रा
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दोनों हाथों की अँगुलियों को आपस में फंसाकर मुठ्ठी बनाएं और बाएं हाथ के अंगूठे को खड़ा रखें। बाकी सभी अंगुलियाँ आपस में बंधी हुई होनी चाहिए।इसे 15 मिनट से लेकर 45 मिनट तक किया जा सकता है। यह मुद्रा शरीर में उष्णता उत्पन्न करती है ,इसलिए पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति इसे अधिक देर तक न करे।
लिंगमुद्रा के लाभ
- यह फेफड़े सबल करती है अनावश्यक चर्बी समाप्त करती है और मोटापा दूर करती है ।
- शरीर में गर्मी बढ़ती है।
- यह सर्दी-जुकाम, खांसी, कफ का नाश करती है
- साइनस,लकवा और अस्थमा में लाभदायक है।
- निम्न रक्तचाप के मरीजों में यह लाभकारी है।
- मौसम परिवर्तन से होने वाले रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
कृपया ध्यान दें उपलब्ध सभी साम्रगी केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें।
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