शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा, आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं, जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं, कहते हैं ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है। इस रात को चंद्रमा अपनी पूरी सोलह कलाओं के प्रदर्शन करते हुए दिखाई देते हैं और रात भर अमृत की वर्षा करता है। ऐसे में इस रात को आसमान में खीर रखने से खीर अमृत समान होती है।
शरद पूर्णिमा मे क्या करे
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह अपने इष्ट देवता का ध्यान करते हुए पूजा अर्चना करनी चाहिए, शाम में चंद्रोदय के समय महालक्ष्मी जी का पूजन करके चांदी या मिट्टी से बने घी के दिए जलायें, प्रसाद के लिए घी युक्त खीर बना कर चांद की चांदनी में रखें, लगभग एक प्रहर (6 घंटे) बीत जाएं, माता लक्ष्मी को यह खीर अर्पित करें, ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराये। इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें, चमकदार सफेद रंग के वस्त्र धारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
शरद पूर्णिमा रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध – चावल की खीर का सेवन पित्तशामक व स्वास्थ्यवर्धक है | इस खीर को एक विशेष विधि से बनाया जाता है। पूरी रात चांद की चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट यह खीर खाने से सभी रोग दूर होते हैं, शरीर निरोगी होता है।
शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर 2023 को शरद पूर्णिमा है इसके साथ ही इस साल चंद्र ग्रहण भी है। तो इस वर्ष चन्द्रमा की किरणों में खीर बनाकर रखना चाहिये या नहीं ……… ,
इस दुविधा में क्या करे????
ऐसी परिस्थिति में सूतक से पहले ही खीर बनाकर भगवान को भोग लगाकर खीर में तुलसी पत्र , कुशा रख दें।
अन्यथा सूतक से पहले दूध में तुलसी पत्र एवं कुशा रख दें और मोक्ष के बाद स्नानकर खीर बनाएं और आंगन में रख दें। अगले दिन सुबह भगवान को भोग लगाकर प्रसाद स्वरूप उसका सेवन करें।
शरद पूर्णिमा , जब वर्षा ऋतु अंतिम समय पर होती है। शरद ऋतु अपने बाल्यकाल में होती है और हेमंत ऋतु आरंभ हो चुकी होती है और इसी पूर्णिमा से कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है।