दिवाली पूजा – शुभ मुहूर्त 4 नवंबर 2021 | Lakshmi Pujan Diwali shubh mahurat

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ऐसे करें दीवाली पूजन, घर आएंगी सुख-समृद्धि - Diwali Poojan for wealth, health & prosperity
ऐसे करें दीवाली पूजन, घर आएंगी सुख-समृद्धि - Diwali Poojan for wealth, health & prosperity

दिवाली पूजा – शुभ मुहूर्त 4 नवंबर 2021 ( Lakshmi Pujan)

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1 दिवाली पूजा – शुभ मुहूर्त 4 नवंबर 2021 ( Lakshmi Pujan)
1.1 दिवाली पूजा – शुभ मुहूर्त 2021
1.1.1 जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निशिदिन सेवत हर विष्णु धाता ॥ ॐ ॥ उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता । सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ ॥ दुर्गा रुप निरंजिनि, सुख सम्पति दाता । जो कोई तुमको ध्यावत, ऋधि सिधि धन पाता ॥ ॐ ॥ तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता । कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ ॥ जिस घर तुम रहती तह सब सदुण आता । सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ ॐ ॥ तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता । खान पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ ॐ ॥ शुभ गुण मन्दिर सुन्दर क्षीरोदधि जाता । रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता ॥ ॐ ॥ महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता । उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ ॥

दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, इस साल ये तिथि 4 नवंबर 2021 को पड़ रही है। दिवाली देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, दिवाली 2021 पर शुभ मुहूर्त और सही विधि से पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, दिवाली का त्योहार 4 नवंबर गुरूवार को है कि बाजारों में इसकी धूम अभी से दिखने लग गई है, इस दिन दीप जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, दिवाली को दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली का त्योहार धनतेरस पर्व से शुरू होकर भैया दूज पर खत्म होता है, वैसे तो कार्तिक माह लगते ही त्योहारों की झड़ी लग जाती है, अश्विन की शरद पूर्णिमा से ही कार्तिक लग जाता है, इस महीने में कई त्योहार मनाए जाते हैं, इसी माह में दिवाली, गोवर्धन पूजा , भैया दूज  और छठ पूजा जैसे बड़े त्योहार आते हैं।

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दीपदान 
दीपावली के दिन दीपदान का विशेष महत्त्व होता है। नारदपुराण के अनुसार इस दिन मंदिर, घर, नदी, बगीचा, वृक्ष, गौशाला तथा बाजार में दीपदान देना शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन यदि कोई श्रद्धापूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा करता है तो, उसके घर में कभी भी दरिद्रता का वास नहीं होता। इस दिन गायों के सींग आदि को रंगकर उन्हें घास और अन्न देकर प्रदक्षिणा की जाती है।

 

दिवाली पूजा – शुभ मुहूर्त 2021

दीपावली की तिथि – 4 नवंबर 2021 (गुरुवार)

अमावस्या तिथि शुरू – 4 नवंबर 2021 सुबह 06:03 बजे से

अमावस्या तिथि समाप्त – 5 नवंबर 2021 सुबह 02:44 बजे तक

दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त:

समय: शाम 06:09 से 08:20 बजे तक

अवधि – 1 घंटा 55 मिनट

प्रदोष काल- 17:34:09 शाम से 20:10:27 तक

वृषभ काल- 18:10:29 शाम से 20:06:20 तक

निशिता काल मुहूर्त दिवाली:

निशिता काल – रात 11:39 से 00:31 बजे तक

सिन्हा लग्न – 00:39 रात से 02:56 तक

इस मंत्र का करें उच्चारण
ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतो पिवा ।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर:।।

पूजा में आवश्यक साम्रगी
महालक्ष्मी पूजा या दिवाली  पूजा के लिए रोली, चावल, पान- सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एकत्र कर लेना चाहिए।

पूजन  विधि
किसी भी कार्य या पूजन को शुरू करने से पहिले श्री गणेश का पूजन किया जाता हैं। भगवान गणेश को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष, अक्षत अर्पित करें।
अब देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें। माता लक्ष्मी की चांदी, पारद या स्फटिक की प्रतिमा का पूजन से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है। जिस मूर्ति में माता लक्ष्मी की पूजा की जानी है। उसे अपने पूजा घर में स्थान दें। मूर्ति में माता लक्ष्मी आवाहन करें। आवाहन यानी कि बुलाना। माता लक्ष्मी को अपने घर बुलाएं। माता लक्ष्मी को अपने अपने घर में सम्मान सहित स्थान देें। यानी कि आसन दें। अब माता लक्ष्मी को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं।
अब माता लक्ष्मी को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें। अब कुमकुम तिलक करें। अब धूप व दीप अर्पित करें। माता लक्ष्मी को गुलाब के फूल विशेष प्रिय है। बिल्वपत्र और बिल्व फल अर्पित करने से भी महालक्ष्मी की प्रसन्नता होती है। 11 या 21 चावल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती करें। आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। महालक्ष्मी पूजन के दौरन ’’ऊँ महालक्ष्मयै नमः’’इस मंत्र का जप करते रहें।

 

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लक्ष्मीजी की आरती

 जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशिदिन सेवत हर विष्णु धाता ॥ ॐ ॥
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता ।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ ॥
दुर्गा रुप निरंजिनि, सुख सम्पति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋधि सिधि धन पाता ॥ ॐ ॥
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता ।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ ॥
जिस घर तुम रहती तह सब सदुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ ॐ ॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ ॐ ॥
शुभ गुण मन्दिर सुन्दर क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता ॥ ॐ ॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ ॥

कृपया ध्यान दें उपलब्ध सभी साम्रगी केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। Read More