दिवाली पूजा – शुभ मुहूर्त 4 नवंबर 2021 ( Lakshmi Pujan)
दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, इस साल ये तिथि 4 नवंबर 2021 को पड़ रही है। दिवाली देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, दिवाली 2021 पर शुभ मुहूर्त और सही विधि से पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, दिवाली का त्योहार 4 नवंबर गुरूवार को है कि बाजारों में इसकी धूम अभी से दिखने लग गई है, इस दिन दीप जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, दिवाली को दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली का त्योहार धनतेरस पर्व से शुरू होकर भैया दूज पर खत्म होता है, वैसे तो कार्तिक माह लगते ही त्योहारों की झड़ी लग जाती है, अश्विन की शरद पूर्णिमा से ही कार्तिक लग जाता है, इस महीने में कई त्योहार मनाए जाते हैं, इसी माह में दिवाली, गोवर्धन पूजा , भैया दूज और छठ पूजा जैसे बड़े त्योहार आते हैं।
दीपदान
दीपावली के दिन दीपदान का विशेष महत्त्व होता है। नारदपुराण के अनुसार इस दिन मंदिर, घर, नदी, बगीचा, वृक्ष, गौशाला तथा बाजार में दीपदान देना शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन यदि कोई श्रद्धापूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा करता है तो, उसके घर में कभी भी दरिद्रता का वास नहीं होता। इस दिन गायों के सींग आदि को रंगकर उन्हें घास और अन्न देकर प्रदक्षिणा की जाती है।
दिवाली पूजा – शुभ मुहूर्त 2021
दीपावली की तिथि – 4 नवंबर 2021 (गुरुवार)
अमावस्या तिथि शुरू – 4 नवंबर 2021 सुबह 06:03 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त – 5 नवंबर 2021 सुबह 02:44 बजे तक
दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त:
समय: शाम 06:09 से 08:20 बजे तक
अवधि – 1 घंटा 55 मिनट
प्रदोष काल- 17:34:09 शाम से 20:10:27 तक
वृषभ काल- 18:10:29 शाम से 20:06:20 तक
निशिता काल मुहूर्त दिवाली:
निशिता काल – रात 11:39 से 00:31 बजे तक
सिन्हा लग्न – 00:39 रात से 02:56 तक
पूजा में आवश्यक साम्रगी
महालक्ष्मी पूजा या दिवाली पूजा के लिए रोली, चावल, पान- सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एकत्र कर लेना चाहिए।
अब माता लक्ष्मी को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें। अब कुमकुम तिलक करें। अब धूप व दीप अर्पित करें। माता लक्ष्मी को गुलाब के फूल विशेष प्रिय है। बिल्वपत्र और बिल्व फल अर्पित करने से भी महालक्ष्मी की प्रसन्नता होती है। 11 या 21 चावल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती करें। आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। महालक्ष्मी पूजन के दौरन ’’ऊँ महालक्ष्मयै नमः’’इस मंत्र का जप करते रहें।
लक्ष्मीजी की आरती